12 Months Name in Sanskrit : बच्चों| आज हम संस्कृत में महीनो के नाम की जानकारी लेंगे जिस प्रकार अंग्रेजी कैलेंडर में 1 साल में 12 महीने होते हैं उसी प्रकार हिंदी कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं अंग्रेजी कैलेंडर में जनवरी से महीना शुरू होता है और दिसंबर पर साल खत्म हो जाता है वहीं हिंदी पंचांग में चैत्र मास से शुरू होकर फागुन मास में साल पूरा हो जाता है|
हिंदी कैलेंडर में 30 दिन का महीना होता है जिसकी चंद्रमा के आधार पर गणना होती है चैत्र मास हिंदी में नए साल की शुरुआत होती है तो आओ हम संस्कृत में मीना के नाम के बारे में पढ़ते हैं|
संस्कृत में 12 माहों के नामों का जिक्र करने से पहले, संस्कृत भाषा को मासाः (माह) के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण थी, इसके बारे में एक छोटी सी जानकारी प्राप्त करें। संस्कृत भाषा में महत्त्वपूर्ण वैदिक प्रथाओं और पूजाओं के साथ समय के महत्त्व को महत्त्वपूर्ण माना जाता है, और इसके लिए विशेष महीनों का अद्वितीय नामकरण किया गया था।
वर्तमान समय में, भारत में अधिकांश लोग अंग्रेजी कैलेंडर का उपयोग करते हैं। हालांकि, संस्कृत के महीनों का उपयोग अभी भी कई पारंपरिक समारोहों और अनुष्ठानों में किया जाता है।
संस्कृत में महीनों के नाम – Months Name in Sanskrit Language
क्रमांक | संस्कृत में महीनो के नाम | English Name |
1 | चैत्र: | Chaitraḥ |
2 | वैशाख: | Vaisakhaḥ |
3 | ज्येष्ठ: | Jyeshthaḥ |
4 | आषाढ़: | Asadhaḥ |
5 | श्रावण: | Sravanah |
6 | भाद्रपद: | Bhadrapadah |
7 | आश्विन: | Asvinah |
8 | कार्तिक: | Kartikah |
9 | मार्गशीर्ष: | Margasirsah |
10 | पौष: | Pausah |
11 | माघ: | Maghah |
12 | फाल्गुन: | Phalgunah |
12 महीनों के नाम संस्कृत में – Months Name in Sanskrit and Hindi English
क्रमांक | संस्कृत में महीनो के नाम | हिंदी में महीनो के नाम | अंग्रेजी में महीनो के नाम |
1 | चैत्रः | चैत्र या चैत. | January |
2 | वैशाखः | वैसाख या बैसाख. | February |
3 | ज्येष्ठः | जेष्ठ या जेठ. | March |
4 | आषाढः | आषाढ़ या आसाढ़. | April |
5 | श्रावणः | श्रावण या सावन. | May |
6 | भाद्रपदः | भाद्रपद या भादो. | June |
7 | आश्विनः | आश्विन या आसिन. | July |
8 | कार्तिकः | कार्तिक या कातिक. | August |
9 | मार्गशीर्षः | आग्रहण या अगहन. | September |
10 | पौषः | पौष या पूस. | October |
11 | माघः | मागशिस या माघ. | November |
12 | फाल्गुनः | फाल्गुन या फागुन. | December |
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संस्कृत में 12 महीनों के नाम (Sanskrit Months Name)[12 Months Name in Sanskrit]
चैत्र मास
हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पहला मास होता है। यह चैत्र सुदी प्रतिपदा से शुरू होता है और चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को समाप्त होता है।
चैत्र मास का आगमन वसंत ऋतु के साथ होता है, जब प्रकृति हरा-भरा होती है और फूलों की खुशबू और सुंदरता आसमान में फैलती है। यह मास हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व रखता है, और चैत्र नवरात्रि का आयोजन इसी मास में किया जाता है, जिसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
चैत्र मास में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए यह मास रामनवमी के रूप में भी मनाया जाता है। यह एक उत्साह और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मास होता है, जो हिन्दू समुदाय के लिए महत्त्वपूर्ण है और नई शुरुआतों की ओर संकेत करता है।
वैशाख मास
मास हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का दूसरा महीना है। यह अप्रैल और मई के महीने में पड़ता है। वैशाखः मास को वसंत ऋतु का दूसरा महीना माना जाता है। इस महीने में मौसम सुहावना होता है और पेड़-पौधे हरियाली से भर जाते हैं।
वैशाखः मास को कई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी प्राप्त है। यह महीना ज्ञान, शिक्षा और आत्म-जागरूकता के लिए समर्पित होता है। इस महीने में कई लोग उपवास और ध्यान करते हैं ताकि वे अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकें।
ज्येष्ठ मास
यह वर्ष का त्रेता मास होता है और ज्येष्ठ सुदी प्रतिपदा से शुरू होता है और ज्येष्ठ पूर्णिमा को समाप्त होता है। इस मास का आगमन वैशाखः मास के बाद होता है और हिन्दी पंचांग में यह मास वैषाख और आषाढ़ के बीच होता है, जिसका अंत ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ होता है।
ज्येष्ठ मास का मौसम गरम और उष्ण होता है, और यह मास सर्दियों के बाद आता है। इसका नाम संस्कृत में ‘श्रेष्ठ’ या ‘महत्त्वपूर्ण’ का संकेत करता है, जिससे इस मास का महत्त्व प्रकट होता है।
ज्येष्ठ मास में हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि अक्षय तृतीया और वात सावित्री व्रत। इस मास में भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा भी मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
ज्येष्ठ मास का आगमन समय की महत्त्वपूर्ण गति का प्रतीक होता है और हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।
आषाढ़ मास
यह वर्ष का तृतीया मास होता है
आषाढ़ मास का मौसम गरम और उमस्स होता है, और यह मास गर्मियों के प्रारम्भ में आता है। इस मास के दौरान अधिकांश भारतीय क्षेत्रों में मॉनसून का आगमन होता है, जिससे प्राकृतिक रूप से प्राणियों के लिए पानी की आपूर्ति होती है।
आषाढ़ मास में हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और व्रत मनाए जाते हैं, जैसे कि आषाढ़ी एकादशी, गुरु पूर्णिमा, और आषाढ़ अमावस्या। इस मास में भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा भी मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
आषाढ़ मास का आगमन मौसम के परिवर्तन का संकेत देता है और हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।
श्रावण मास
यह वर्ष का चौथा मास होता है
श्रावण मास का मौसम बरसाती होता है, और यह वर्षा के महीनों में आता है, जिससे प्राकृतिक रूप से प्राणियों के लिए पानी की आपूर्ति होती है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और व्रत मनाए जाते हैं, जैसे कि श्रावण सोमवार व्रत और श्रावणी एकादशी।
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा और व्रत काफी प्रमुख होते हैं, और भक्त इस मास में सोमवार को शिव का व्रत करते हैं। यह मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और भगवान शिव की कृपा की प्राप्ति के लिए व्रत और पूजा की जाती है।
भाद्रपद मास
यह वर्ष का पंचम मास होता है
भाद्रपद मास का मौसम में परिवर्तन का संकेत देता है, और यह वर्षा के महीनों के बाद आता है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और व्रत मनाए जाते हैं, जैसे कि गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी, और पितृ पक्ष।
भाद्रपद मास में भगवान गणेश की पूजा और व्रत बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, और गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणेश बप्पा की मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उनका पूजन करते हैं। यह मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और भगवान गणेश की कृपा की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा और आराधना की जाती है।
आश्विन मास
यह वर्ष का षष्ठ मास होता है
आश्विन मास का मौसम प्रतिष्ठान और तीज त्योहार के साथ आता है। इस मास के दौरान आश्विनी नक्षत्र का आगमन होता है, जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
आश्विन मास में हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि नवरात्रि, दशहरा, कुमारी पूजा, और दीपावली। इस मास में लक्ष्मी पूजा के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और दीपों की रौशनी से उन्हें प्रकाशित करते हैं। यह मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और भगवान दुर्गा और देवी लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा और आराधना की जाती है।
कार्तिक मास
यह वर्ष का सातवां मास होता है
कार्तिक मास का मौसम सर्दी की शुरुआत का संकेत देता है और यह वर्षा के समय के बाद आता है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा, और तुलसी पूजा।
कार्तिक मास में दीपावली के त्योहार को खासतर से मनाया जाता है, जो पूरे भारत में खुशी और उत्सव के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर घरों को दीपों से सजाया जाता है और लोग आपसी मिलजुलकर दीपावली के त्योहार का आनंद उठाते हैं। कार्तिक मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और इसे ध्यान से मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष मास
यह वर्ष का आठवां मास होता है
मार्गशीर्ष मास का मौसम सर्दी की शुरुआत का संकेत देता है और यह ठंडी के महीनों के आगमन को दर्शाता है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि कार्तिक पूर्णिमा, उत्पन्ना एकादशी, और मार्गशीर्ष द्वादशी।
मार्गशीर्ष मास में हिन्दू धर्म में देवी उत्पन्ना की पूजा और व्रत काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं, और इस मास में भक्त उपवास और पूजा करते हैं ताकि वे देवी उत्पन्ना की कृपा प्राप्त कर सकें। इस मास में लोग धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को महत्त्वपूर्ण मानते हैं और इसका ध्यानपूर्वक आयोजन करते हैं।
पौष मास
यह वर्ष का नवां मास होता है
पौष मास का मौसम सर्दी की गहरी ठंड को दर्शाता है और यह ठंडी के महीनों के आगमन का संकेत होता है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि मकर संक्रांति और वैकुण्ठ एकादशी।
पौष मास में मकर संक्रांति का त्योहार खासतर से मनाया जाता है, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह से मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन लोग सूर्य की पूजा करते हैं और उनके द्वार को खोलकर स्वागत करते हैं। पौष मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और इसे ध्यानपूर्वक मनाया जाता है।
माघ मास
यह वर्ष का दसवां मास होता है
माघ मास का मौसम सर्दी की गहरी ठंड को दर्शाता है और यह सर्दी के महीनों के आगमन का संकेत होता है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि माघी संक्रांति, वसंत पंचमी, और छठ पूजा।
माघ मास में माघी संक्रांति का त्योहार खासतर से मनाया जाता है, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य और अपने पूर्वजों की आत्मा की पूजा करते हैं। माघ मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और इसे ध्यानपूर्वक मनाया जाता है।
फाल्गुन मास
यह वर्ष का ग्यारहवां मास होता है
फाल्गुन मास का मौसम ठंडक के साथ आता है और यह सर्दी के महीनों के आगमन को दर्शाता है। इस मास के दौरान हिन्दू धर्म में विभिन्न महत्त्वपूर्ण त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं, जैसे कि होली, महाशिवरात्रि, और हरिवंश पर्व।
फाल्गुन मास में होली का त्योहार खासतर से मनाया जाता है, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में खुशी और उत्सव के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग रंग, पानी, और मिठाइयों का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का त्योहार मनाते हैं। फाल्गुन मास हिन्दू समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और इसे ध्यानपूर्वक मनाया जाता है।
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