Bhav Vachak Sangya : आज के इस आर्टिकल में हमनें ‘भाववाचक संज्ञा की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। जिसे पद कर आपको निःसंदेह भाववाचक संज्ञा के बारे मैं पूरी जानकारी मिलेगी इसे अंत तक पढ़े|
Bhavvachak Sangya | भाववाचक संज्ञा – Bhav Vachak Sangya Kise Kahate Hain
संज्ञा के पाँच भेद होते हैं। इनमें से एक भेद है भाववाचक संज्ञा| जो शब्द किसी पदार्थ या प्राणी की अवस्था, दशा, उसके गुण-दोष, धर्म और भाव का बोध कराते हैं, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे:- मिठास, कड़वाहट, क्रोध, जवानी, स्त्रीत्व, बालकपन, मित्रता, अपनत्व, अहंकार, अच्छाई, बुराई इत्यादि। आदि।
भाववाचक संज्ञा का बहुवचन बनाने पर वह जातिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे: दूरी से दूरियाँ, चोरी से चोरियाँ, प्रार्थना से प्रार्थनाएँ इत्यादि।
Tips: भाववाचक संज्ञा को वास्तव देखा नहीं जा सकता है, बल्कि एक व्यक्ति द्वारा सिर्फ उन्हें महसूस किया जा सकता है। जैसे:- मित्रता, मिठास, अच्छाई, बालकपन, आदि।
संज्ञा और उसके भेद
भाववाचक संज्ञा (Bhav vachak sangya ki paribhasha) के प्रकार
भाववाचक संज्ञा को निम्नलिखित प्रकारों में बाँटा जा सकता है:
- भाव
- गुण
- दशा
- अवस्था
- धर्म
भाव वाचक संज्ञा के उदाहरण (Bhav Vachak Sangya Ke Udahran)
भाववाचक संज्ञा (bhav vachak sangya example) के 20 उदाहरण दिए गए हैं:-
- भाव:
- प्रेम, करुणा, दया, क्रोध, भय, घृणा, शोक, हर्ष, उल्लास, उत्साह, उमंग, निराशा, मोह, आसक्ति, इच्छा, आकांक्षा, इत्यादि।
- गुण:
- मिठास, कड़वाहट, सुंदरता, सुगंध, सौंदर्य, अच्छाई, बुराई, सच्चाई, ईमानदारी, धैर्य, साहस, ज्ञान, बुद्धि, इत्यादि।
- दशा:
- बचपन, जवानी, बुढ़ापा, बीमारी, स्वास्थ्य, सुख, दुख, संकट, विपत्ति, इत्यादि।
- अवस्था:
- स्थिरता, गतिशीलता, परिवर्तन, विकास, वृद्धि, हानि, लाभ, उत्थान, पतन, इत्यादि।
- धर्म:
- देशभक्ति, मातृत्व, पितृत्व, भाईचारा, मित्रता, प्रेम, दया, करुणा, इत्यादि।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि भाववाचक संज्ञा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के भावों, गुणों, दशाओं, अवस्थाओं और धर्मों के बोध कराने के लिए किया जाता है।
Bhav Vachak Sangya Example – उदाहरण
- प्रेम: मोहन अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता है।
- करुणा: गरीबों पर दया करो।
- दया: भिखारी को दया करके कुछ पैसे दो।
- क्रोध: क्रोध में आकर उसने कुछ भी सोचे-समझे बिना ही उससे बात कर डाली।
- भय: अंधेरे से मुझे बहुत भय लगता है।
- घृणा: चोरों से मुझे घृणा है।
- शोक: उसके पिता की मृत्यु पर उसे बहुत शोक हुआ।
- हर्ष: परीक्षा में अच्छे अंक लाने पर उसे बहुत हर्ष हुआ।
- उत्साह: हमें खेल में जीतने का बहुत उत्साह है।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि भाववाचक संज्ञा का प्रयोग वाक्यों में विभिन्न प्रकार के भावों को व्यक्त करने के लिए किया जा सकता है।
भाव वाचक शब्द (Bhav Vachak Shabd)
किसी भाव की सुचना या बोध करवाने वाले शब्दों को भाववाचक शब्द (Bhav Vachak Shabd) कहते हैं। जैसे: प्रेम, करुणा, मिठास, कड़वाहट, देशभक्ति, मातृत्व इत्यादि।
भाववाचक संज्ञा बनाने के तरीके
जातिवाचक से → भाववाचक संज्ञा शब्द बनाना
बच्चा → बचपन → मोहन बचपन से ही बहुत शरारती था।
आदमी → मानवता → मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।
दोस्त → मित्रता → मित्रता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए।
शत्रु → शत्रुता → शत्रुता कभी भी अच्छी नहीं होती।
देश → देशभक्ति → देशभक्ति हर नागरिक का कर्तव्य है।
धर्म → धार्मिकता → धार्मिकता ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है।
गुण → गुणवत्ता → गुणवत्ता ही जीवन की कसौटी है।
बुराई → बुराई → बुराई से हमेशा दूर रहना चाहिए।
अच्छाई → अच्छाई → अच्छाई हमेशा जीतती है।
विशेषण से भाववाचक संज्ञा शब्द बनाना
अच्छा → अच्छाई → अच्छाई हमेशा जीतती है।
बुरा → बुराई → बुराई से हमेशा दूर रहना चाहिए।
सुंदर → सुंदरता → सुंदरता एक वरदान है।
कड़वा → कड़वाहट → कड़वाहट से हमेशा बचना चाहिए।
मीठा → मिठास → मिठास मन को मोह लेती है।
बड़ा → बड़ाई → बड़ाई से मन को घमंड होता है।
छोटा → छोटपन → छोटपन में भी बहुत सारी खुशियाँ होती हैं।
सच्चा → सच्चाई → सच्चाई ही सबसे बड़ी शक्ति है।
ईमानदार → ईमानदारी → ईमानदारी सबसे बड़ा गहना है।
क्रिया से भाववाचक संज्ञा शब्द बनाना
पढ़ना → पढ़ाई → पढ़ाई करना मनुष्य का कर्तव्य है।
लिखना → लेखन → लेखन एक कला है।
देखना → दर्शन → दर्शन से मन को शांति मिलती है।
सुनना → श्रवण → श्रवण से ज्ञान प्राप्त होता है।
बोलना → वाणी → वाणी से मनुष्य अपनी बात दूसरों तक पहुँचाता है।
चलना → चलन → चलन समाज के आचार-विचार को दर्शाता है।
खाना → आहार → आहार मनुष्य का जीवन है।
सोना → निद्रा → निद्रा से मनुष्य को विश्राम मिलता है।
उठना → उत्थान → उत्थान से मनुष्य का जीवन सफल होता है।
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा शब्द बनाना
पराया → पन = परायापन
निज → त्व = निजत्व
अपना → पन = अपनापन
अपना → त्व = अपनत्व
मम → ता = ममता
मम → त्व = ममत्व
अहम् → कार = अहंकार
सर्व → स्व = सर्वस्व
Bhav Vachak Sangya Words
अव्यय से भाववाचक संज्ञा शब्द बनाना
अव्यय: → भाववाचक → संज्ञा: → वाक्य
दूर → दूरी → दूरी बहुत है।
पास → निकटता → निकटता में ही सुख है।
ऊपर → ऊँचाई → ऊँचाई पर जाना मुश्किल है।
नीचे → नीचता → नीचता से हमेशा बचना चाहिए।
पहले → प्राथमिकता → पहले आओ पहले पाओ।
बाद में → द्वितीयकता → बाद में सोचेंगे।
धीरे-धीरे → धीरता → धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा।
जल्दी-जल्दी → जल्दबाजी → जल्दबाजी में कोई अच्छा काम नहीं होता।
कभी-कभी → अनियमितता → कभी-कभी तो ऐसा होता है।
भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए निम्नलिखित तरीके प्रयुक्त किए जाते हैं
- धातुओं में प्रत्यय लगाकर
- जातिवाचक संज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर
- क्रियाओं में प्रत्यय लगाकर
- विशेषणों में प्रत्यय लगाकर
- अव्ययों में प्रत्यय लगाकर
उदाहरण
- धातुओं में प्रत्यय लगाकर:
- चलना → चाल
- पढ़ना → पढ़ाई
- खाना → खाया
- जातिवाचक संज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर:
- लड़का → लड़कपन
- घर → घराना
- देश → देशभक्ति
- क्रियाओं में प्रत्यय लगाकर:
- आना → आगमन
- जाना → गमन
- करना → कर्म
- विशेषणों में प्रत्यय लगाकर:
- बड़ा → बड़ाई
- सुंदर → सुंदरता
- अच्छा → अच्छाई
- अव्ययों में प्रत्यय लगाकर:
- बाहर → बाहरी
- ऊपर → ऊपरी
- नीचे → नीचे की
अतिथि का भाववाचक संज्ञा – Atithi Ka Bhav Vachak Sangya
अतिथि का भाववाचक संज्ञा “आतिथ्य” है। यह “आतिथी” शब्द के अंत में “-य” प्रत्यय लगाकर बनाया गया है। “आतिथ्य” का अर्थ है “अतिथि के स्वागत और सम्मान”।
वाक्य में प्रयोग:
भारतीय संस्कृति में अतिथि का आतिथ्य करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
हमें हमेशा अतिथि का आतिथ्य करना चाहिए।
अतिथि का आतिथ्य करना हमारे धर्म का भी एक अनिवार्य अंग है।
भाववाचक संज्ञा का प्रयोग
भाववाचक संज्ञा का प्रयोग वाक्यों में विभिन्न प्रकार से किया जाता है। उदाहरण के लिए:
- भाववाचक संज्ञा का प्रयोग विशेषण के रूप में किया जाता है।
- जैसे: मीठी चाय, कड़वी दवा, अच्छा काम, बुरा आदमी
- भाववाचक संज्ञा का प्रयोग क्रिया के रूप में किया जाता है।
- जैसे: लड़ाई करना, शादी करना, पढ़ाई करना
- भाववाचक संज्ञा का प्रयोग संज्ञा के रूप में किया जाता है।
- जैसे: मिठास, कड़वाहट, अच्छाई, बुराई
भाववाचक संज्ञा का महत्व
भाववाचक संज्ञा का प्रयोग वाक्यों को अधिक अर्थपूर्ण और सार्थक बनाने में सहायक होता है।
यह वाक्यों में विभिन्न प्रकार के भावों और विचारों को व्यक्त करने में मदद करता है।
Sangya ki Paribhasha Sangya ke Bhed
What is Proper Noun in Hindi – व्यक्तिवाचक संज्ञा
Jati Vachak Sangya Ke Udaharan – जातिवाचक संज्ञा परिभाषा एवं उदाहरण
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